विदा
आज धरती से कौन विदा हुआ है
कि अम्बर ने बाँहें फैला के
धरती को गले लगाया है
त्रिपुरा ने हरी चादर कफ़न पर डाली
और सुबह की लाली ने
आँखों का पानी पोंछ कर
धरती के कँधे पर हाथ रखा
कहा -
थोड़ी सी महक विदा हुई है
पर दिल पर ना लगाना
क्यूंकि अम्बर ने तेरी महक को
छाती में समेट लिया है
tripura - mythological reference: one of the epithets of Durgā,.. thou art the principle of life in creatures; by thee this world moves.
Farewell
Who has bid farewell
from the Earth today!
Such that the Sky
opened his arms
to hug the Earth this way
Even the Life
came to lay
a tribute on its grave
Wiping her own tears
the morning Light
put an arm around
the Earth's side
And said -
"A breath of Fragrance
bid farewell today
but do not dismay
For the Sky has gathered
your Fragrance
in his bosom"
विदा
अੱज धरती तों कौण विदा होइआ
कि अंबर नें बाहवां वला के
धरती नूं गल दे नाल लाइआ
त्रिपुरा ने हरी चादर कफ़न ते पाई
ते सुबह दी लाली ने
अੱखां दा पाणी पूंझ के
धरती दे मोढे ते हੱथ धरिआ
आखिआ-
थोड़ी जही महिक विदा होई है
पर दिल दे नां लावीं
कि अंबर ने तेरी महिक नूं
छाती विच सांब लीता है
ਵਿਦਾ
ਅੱਜ ਧਰਤੀ ਤੋਂ ਕੌਣ ਵਿਦਾ ਹੋਇਆ
ਕਿ ਅੰਬਰ ਨੇਂ ਬਾਹਵਾਂ ਵਲਾ ਕੇ
ਧਰਤੀ ਨੂੰ ਗਲ ਦੇ ਨਾਲ ਲਾਇਆ
ਤ੍ਰਿਪੁਰਾ ਨੇ ਹਰੀ ਚਾਦਰ ਕਫ਼ਨ ਤੇ ਪਾਈ
ਤੇ ਸੁਬਹ ਦੀ ਲਾਲੀ ਨੇ
ਅੱਖਾਂ ਦਾ ਪਾਣੀ ਪੂੰਝ ਕੇ
ਧਰਤੀ ਦੇ ਮੋਢੇ ਤੇ ਹੱਥ ਧਰਿਆ
ਆਖਿਆ-
ਥੋੜੀ ਜਹੀ ਮਹਿਕ ਵਿਦਾ ਹੋਈ ਹੈ
ਪਰ ਦਿਲ ਦੇ ਨਾਂ ਲਾਵੀਂ
ਕਿ ਅੰਬਰ ਨੇ ਤੇਰੀ ਮਹਿਕ ਨੂੰ
ਛਾਤੀ ਵਿਚ ਸਾਂਬ ਲੀਤਾ ਹੈ
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